हमने तो पूछा जिंदगी से क्यू हमको सताती तू
भूलती जो रहे उन रहो को सामने क्यू लती तू
क्यू पास आती तू फिर दूर जाती तू
सपने दिखके क्यू हमको रुलाती तू
हमको न दर्द है न किसी मर्ज की जरुरत है
एह्सासोंको भुला अब चलना ही वक़्त की जरुरत है
पथरीली राहोसे अबतो गुजरना है
बस अब इजाजत दे खुदसेही लड़ना है.