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रोजगार ही आदमी की पहचान

By Rakesh in Stories » Fiction
Updated 02:20 IST Jul 05, 2024

Views » 644 | 4 min read

दो दिन से लापता महेंद्र को जीवन की सबसे अनमोल बात की पहचान रोजगार ही आदमी की होती है, तब समझ में आता है जब उसे कोई न कोई नौकरी पर रखता है और न ही कुछ खाने पीने के लिए देता है, क्योंकि 55 साल की उम्र तक महेंद्र ने न कोई नौकरी की थी और न ही कोई छोटा-मोटा व्यापार इसलिए उसे किसी भी काम का अनुभव नहीं था।

 

वैसे महेंद्र अपनी जवानी में खूबसूरत युवक लिखा था, इसलिए उसकी शादी खूबसूरत अमीर लड़की से हो गई थी।

 

अमीर पत्नी ने कुछ भी काम न करने के स्वभाव यानी कि काम चोरी से तंग आकर उसे तलाक दे दिया था, अमीर पत्नी से तलाक होने के बाद महेंद्र ने एक गरीब लड़की से शादी कर ली थी।

 

मालती भी अपनी बेटी को जन्म देने के समय स्वर्ग सिधार गई थी, क्योंकि फल दूध आदि के स्थान पर मालती के गर्भवती होने के बाद उसे सूखी रोटी, कभी नमक और कभी लाल मिर्च की चटनी के साथ खिलाता था।

 

बेटी की शादी होने के बाद महेंद्र बेटी दामाद के साथ रहने लगा था, बेटी दामाद ने महेंद्र के रईसों जैसे शौक से दुखी होकर उसे घर से लात मार भगा दिया था।

 

जब महेंद्र को लगता है कि मुझे एक दिन और भर पेट खाना नहीं मिला तो मेरी मृत्यु हो जाएगी इसलिए वह शादी में हलवाई को खाना बनाते हुए देखती है कि हलवाई के कारीगरों के साथ किसी के बिना कहे किसी से पूछे पतीले धोने जैसी सब्जी आदि कटी हुई लगती है, तो उसे ईमानदारी से मेहनत करते हुए देखती है कि हलवाई उसे वहां से जीने की जगह पर पेट खाना खिलाकर बारात परिवार वालों के लिए खाना खाने तक उससे काम लेती है और शादी का पूरा काम खत्म होने के बाद अच्छे खासे खर्चे देती है।

 

जब पहली बार अपनी मेहनत की कमाई देखकर महेंद्र की आंखों में आंसू आ जाते हैं तो महेंद्र को भावुक दुख होता है, यह देखकर कि उस पर तरस आ जाता है इसलिए वह उसे अपनी मिठाई की दुकान में नौकरी पर रख लेती है।

 

55 वर्ष की आयु से 60 वर्ष की आयु तक महेंद्र शहर का सबसे अच्छा मशहूर हलवाई बन जाता है और पूरा शहर उसके कारीगरों से अपनी शादी समारोह में स्वादिष्ट खाना पसंद करने लगता है।

 

हवाई के काम से महंगा इतना पैसा कमाना है कि एक नई दो अपनी मिठाई की दुकान खोलती है।

 

और उस दिन महेंद्र को बहुत अच्छी तरह एहसास होता है कि रोजगार ही आदमी की पहचान है, आदमी को कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होना चाहिए बस उसे दिल लगाकर काम करना चाहिए ताकि उसे रोजगार से पूरा हो जाए और अगर आदमी में उत्साह लगन हिम्मत हो तो बढ़ती उम्र भी उसकी राह की तलाश नहीं बन सकती है और एक दिन उसकी बेटी दामाद और पहली पत्नी उससे कहती है कि हमें बाजार में दुकानदार डॉक्टर वकील बस वाले फल सब्जी वाले आदि सब इसलिए बहुत सम्मान देते हैं क्योंकि हम महेंद्र हवाई के संबंधित हैं या

संबंधित रह चुके हैं।

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