1-ख़यालों में भटके, कि यादों में भटके
जहाँ भी जो भटके, वहां दिल से भटके
हर इक आईंना को है ,तेरी तलाश अब
मिलो जिस-को ना तुम , सो आईना चट्खे।
खबर है नहीं तुम को ,कुछ मेरे दिल की
बता ना सकूं ,चाहकर भी, मैं खुल-के।
हिजाबों में चेहरा छुपाया बहुत है
ख़ुदा-रा ये घूंघट ज़रा सा तो सरके।