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हिजाबों में चेहरा छुपाया बहुत है

By Abdur Rahman in Poems » Short
Updated 23:03 IST Dec 23, 2016

Views » 1888 | 2 min read

1-ख़यालों में भटके, कि यादों में भटके 

जहाँ भी जो भटके, वहां दिल से भटके 

 

हर इक आईंना को है ,तेरी तलाश अब 

मिलो जिस-को ना तुम , सो आईना चट्खे। 

 

खबर है नहीं  तुम को   ,कुछ मेरे दिल की 

बता  ना  सकूं ,चाहकर भी,  मैं खुल-के।

 

हिजाबों में चेहरा छुपाया बहुत है 

ख़ुदा-रा ये  घूंघट ज़रा सा तो सरके।

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