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Dr Himanshu Sharma

A teacher by profession and a satirist by passion
कभी मुझे भी पत्रकारिता का शौक़ लगा था और मैं सोचा करता था कि मेरा भी कोई लेख पत्र-पत्रिका में छपेगा, परन्तु शौक़ वक़्त के पन्नों में दबकर रह गया! आज बैठा-बैठा सोच रहा था कि मुझे याद... read more...
10-Aug-2016 • 2010 views
कितनी बार हुआ कि मेरी कलाइयाँ यूँ ही रह गयी सूनी,कितनी बार हुआ है ऐसा कि पहुँच न पाया मैं राखी पर!पैसा-पैसा करते करते रिश्तों को नज़रन्दाज़ किया मैंने,याद आये सारे र... read more...
19-Aug-2016 • 1991 views
गणेशोत्सव नज़दीक था, हमने सोचा कि चंदा इकट्ठा कर लिया जाए और सोचा कि शुरूआत की जाए बैंक के एक उच्चाधिकारी से! उनका हमारी कॉलोनी में बड़ा रुतबा था परंतु लोग कहते थे कि बन्दा क... read more...
17-Sep-2016 • 1949 views
अरे! गुस्साइये नहीं, ये जो शीर्षक है, वो अपशब्द देने या विवाद खड़ा हेतू करने के लिए नहीं दिया है अपितु एक बालक के निबंध से पढ़े शब्दों की विवेचना है! निम्नलिखित बिंदु... read more...
09-Dec-2016 • 1906 views
जब-जब भी नाज़ुक मौकों पर नाजायज़ मांगें रखते हो,तुम मुझे जानम कम लड़के के बाप ज़्यादा लगते हो! ऐसे ही हया रखकर मुस्कुराने को अदब बताया जाता है,अब समझा कुर्बानी का बकरा यूँ कैसे... read more...
23-Dec-2016 • 2198 views
एक पेड़ को देखा,विशाल था घना था!लगता था नीचे उगती झाड़ों को,वो आश्रय देने हेतू बना था!तना कठोर था परंतु,कई गड्ढे थे उसमें!पक्षी, पल्लव इत्यादि,निवास करते थे जिसमें!तने से कोई रस... read more...
01-Jan-2017 • 2035 views
बच्चा जब पाँव पे आता है,निर्बाध धावक वो बन जाता है!उसकी माता भी दौड़ लगाती है,ममता में वो ड़ुबकी लगाती है! उसकी अबोध चाल को माता,निहारती चुपके से और मुस्का के!अब... read more...
01-Jan-2017 • 2026 views
चमगादड़, ऐसा जीव है जिससे सभी भयभीत रहते हैं, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि चमगादड़ का काम इंसानों का ख़ून चूसना है! भला हो इंसान और इंसानियत का जो कि चमगादड़ के ख़ून पीने... read more...
20-Feb-2017 • 2001 views
"रहिमन वे नर मर गए जे कछु माँगन जाहि!उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहीं!!" रहिमदास जी ने जब ये बात कही थी तब शायद उनका कोई पडोसी नहीं रहा होगा क्यूंक... read more...
08-May-2017 • 2175 views
मेरी बेटी, "पिताजी! ईमानदारी क्या है?" स्वयं, "आज के ज़माने में समझदारों और बेवकूफ़ों को अलग करती सीमा-रेखा!" बेटी, "और चाटुकारिता?" स्वयं, "बेटा! ये बहुत मेहनत का काम है क्यूंकि इतने साल तक कमर झुक... read more...
22-May-2017 • 2014 views
एक फोकटिया लेखक और मास्टर ये लोग बहुत ही ख़तरनाक होते हैं क्यूंकि दोनों अगर किसी पे अगर पिनक जाएँ तो एक अदना सी दिखती कलम से बहुतों का जीना मुहाल कर सकते हैं! म... read more...
14-Jun-2017 • 1855 views
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