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माँ.....!!!!!

By Dr Himanshu Sharma in Poems » Short
Updated 10:31 IST Jan 01, 2017

Views » 1621 | 2 min read

बच्चा जब पाँव पे आता है,
निर्बाध धावक वो बन जाता है!
उसकी माता भी दौड़ लगाती है,
ममता में वो ड़ुबकी लगाती है!

उसकी अबोध चाल को माता,
निहारती चुपके से और मुस्का के!
अबोध शिशु को वक्ष लगाती,
लेकर आती प्यार से और फुसला के!
आँचल में भरकर मैय्या फिर,
शिशु को गया लोरी वो सुलाती है!

खाना खिलाने से पहले मैय्या,
ख़ुद गरम-ठन्डे को नापती है!
जो गलती से जल जाए मुख शिशु का,
हो बेसुध पानी लाने वो भागती है!
वो गर्मी से जलती जीभ मानो,
रह-रह उसके उर को जलाती है!

वैसे भी मैय्या के ह्रदय की,
थाह आजतक कौन जान पाया है?
बेटा भले ही फेर ले आँखें,
पर माँ ने हरदम अपना फर्ज़ निभाया है!
दूर रहती है माँ मेरी आँखों से पर,
रह-रहकर यादों में वो आती है!

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