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वार्तालाप....!!!

By Dr Himanshu Sharma in Rib Tickling
Updated 21:42 IST May 22, 2017

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मेरी बेटी, "पिताजी! ईमानदारी क्या है?"
स्वयं, "आज के ज़माने में समझदारों और बेवकूफ़ों को अलग करती सीमा-रेखा!"
बेटी, "और चाटुकारिता?"
स्वयं, "बेटा! ये बहुत मेहनत का काम है क्यूंकि इतने साल तक कमर झुकाकर खड़ा रहना आसान नहीं होता है!"
बेटी, "पापा! ये राजनीति क्या होती है?"
स्वयं, "बेटा! वो कला जिससे सामनेवाले को विश्वास दिलवा दिया जाए कि जिस आदमी के हाथों में दस उँगलियाँ और चहरे पे दो कान, दो आँखें और एक नाक है वो हमारे "समाज" के शत्रु हैं!"
बेटी, "पापा! इस देश की प्रतिभा कहाँ जाती है?"
स्वयं, "बेटे जी! प्रतिभा या तो फ़ाइल में जाती है या फिर रिश्तेदारों के कारण भाई-भतीजावाद के मंदिर की बलि-वेदी पर!"
बेटी, "ये मंदिर कहाँ है पापा!"
स्वयं, "बेटे जी! ये मंदिर हर सरकारी संसथान में उपलब्ध है और इसका पुजारी अफ़सर नामक जीव होता है!"
बेटी, "ये अफ़सर क्या करता है?"
स्वयं, "ये कलम नाम के जादुई डंडे से कई लोगों को और फ़ाइलों को इधर से उधर कर देता है और साथ में लोगों को बिना देखे उनके पहुँच के आधार बता सकता है कि ये किस कुर्सी के क़ाबिल है इसमें उसकी कुर्सी भी शामिल है!"
बेटी, "पापा.... !!!"
स्वयं,"बच्चा, ज़्यादा मत पूछ वरना कलम मेरे ऊपर भी राज करती है!"

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