आस
माना कई अरसे हो गए
तुझे देखे, तुझसे सिमटे हुए
फिर भी इस दिल में
कुछ एहसास अभी बाकी है.
माना ज़िंदगी ने कई करवट लिए
करीब आकर तुम, कितने दूर हुए
फिर भी इन सिलवटों में
कुछ प्यास अभी बाकी है.
माना ये फासले हैं उम्र भर के लिए
ना राह एक हुई, ना ही मंज़िल जुड़े
फिर भी तेरे आने की
कुछ आस अभी बाकी है.
माना गैर हो गए हम तुम्हारे लिए
नासूर से चुभे, जो ज़ख्म तुमने दिए
फिर भी इन सांसों में
तेरी कुछ सांस अभी बाकी है.