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मेरा दोस्त

By taabiirdaan in Poems » Short
Updated 16:25 IST May 13, 2017

Views » 1604 | 1 min read

 

खुद गिरकर भी हाथ मेरा वो थाम लिया करता है।

जालिम मेरा हमनफस, तोहीन भी सरेआम किआ करता है।

बात गलत हो मेरी, फिर भी मान लिया करता है।

दर्द मेरे वो चेहरे से ही जान लिया करता है।

फरिश्ता है वो, नमाज़ों में सलामती मेरी मांग लिया करता है।

मेरे दोस्त की सभी बातें खुदा भी मान लिया करता है।

                                                     #अमन गौतम

हमनफस ~ दोस्त 

तोहीन ~ बेज़्ज़ती

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