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मन की मेरी कल्पना भरने चली उड़ान .....

By taabiirdaan in Poems » Long
Updated 09:48 IST Jan 07, 2017

Views » 3000 | 2 min read

 मन की मेरी कल्पना, भरने चली उड़ान

पथ मुझको दिखता नहीं, कुछ भी नहीं है ज्ञान

 

दूर खड़ी मंजिल मुझे कैसे रही निहार 

पहुँच वहाँ दिखलाऊंगा मानूंगा नहीं हार 

 

आज खड़ा हूँ मै जहां, चारो तरफ है राहें वहाँ

सोच कर मै रह गया जाऊ तो जाऊ कहाँ

मेरा मन यु कर रहा बाहों में भर लू जहाँ 

 

सपनो के मोती चुन चुन कर मै एक घर बनाऊंगा

राहों में चाहें कांटे हो उनपर चल दिखाऊंगा

पहाड़ जैसे मंजिल में पग पग चड़ता जाऊंगा

देख मुझे जो हस रहें उनको भी ले आऊंगा

 

मन की बाते जिससे कहता सब कहते सपनो में रहता

दुनिया चाहे कुछ भी बोले मै हसते हसते सब सहता

 

डगर कठिन है खड़ा अकेला ये कैसा दुनिया का मेला

खुद अपनी राह बनाऊंगा मै आगे बढता जाऊंगा

मंजिल की बांहों में जाकर उनको पीछे पाऊंगा।।

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