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इज्ज़त के लिये इजाज़त?

By KHAN in Experiences
Updated 16:05 IST Oct 18, 2016

Views » 1433 | 2 min read

व्क्त बेव्क्त..या वजह बेवजह...किसी को ऐसी ख्वाहिश नही होती की उसको किसी समाज मे लोग उस नज़र से देखें,,उस नज़र से?सवाल भी यही है और जवाब भी...नज़र किसी की क्या देखती है..महज़ खूबसूरती..नहीँ जनाब आप ऐसे समाज मे जी रहे हैं जहाँ खूबसूरती से पहले ही लोग किरदार बयान कर देते हैं...यहाँ परदा भी व्क्त देख के करना पड़ता है..हाँ भई व्क्त देख के..दिन की तिलमिलाती धूप मे मुँह को किसी हिजाब से ढका है तो.हाँ चेहरा खराब न हो इसलिये लेकिन वही परदा ज़रा सी आती हुई रात मे कर के अपने ही घर के सुनसान रस्ते.से जाना पड़ जाये तो लोग वैश्या करार दे देते हैं..चलो माना वैश्या ही सही..अब.सवाल ये किया.जाये की.तुमको वैश्या के पहनावे का कैसे पता??जवाब भी खुद ही मिल गया...लड़की,सिर्फ़ और सिर्फ़ लड़की होती है...दाग़ ये समाज उन पर लगाता है अपनी नज़रों से...इज्ज़त के लिये इजाज़त की ज़रूरत नहीँ किसी की..बस नियत.की ज़रूरत है...॥

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